जीवन में धन-दौलत, शोहरत और भौतिक सुख-सुविधाएं कितनी भी बढ़ जाएं, लेकिन अगर परिवार का साथ, समाज की मर्यादा और नैतिक मूल्यों की नींव कमजोर हो जाए, तो यह सब बेमानी हो जाता है।
परिवार वह आधार है, जहाँ संस्कार जन्म लेते हैं। माता-पिता की सीख, भाई-बहनों का प्यार और रिश्तों की गर्माहट ही असली संपत्ति होती है। लेकिन अफसोस, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपनों से ही दूर होते जा रहे हैं। टेक्नोलॉजी ने भले ही दुनिया को करीब किया हो, लेकिन दिलों की दूरियां बढ़ा दी हैं।
समाज वह आईना है, जो हमें हमारी जिम्मेदारियों का अहसास कराता है। किसी की मदद करना, किसी की मुस्कान का कारण बनना, और जरूरतमंदों के लिए हाथ बढ़ाना ही इंसानियत की सच्ची परिभाषा है।
नैतिकता वह प्रकाश है, जो हमें अंधकार में भी सही राह दिखाता है। ईमानदारी, सच्चाई, और दूसरों के प्रति सहानुभूति ही वह मूल्य हैं, जो हमें एक अच्छा इंसान बनाते हैं।
जीवन का असली सुख रिश्तों की मिठास, समाज की सेवा और नैतिक मूल्यों के पालन में ही है। थोड़ा समय अपनों के लिए निकालें, जरूरतमंदों की मदद करें और नैतिकता की राह पर चलते हुए जीवन को सार्थक बनाएं।
– अनूप नारायण सिंह
