गया। अध्यात्मिक साहित्यिक संगीतज्ञ प्रखर वक्ता बङे भाई रवि आचार्य का जाना बिल्कुल सगे संबंधियों के मन को निष्ठुर कर दिया है।
आत्मिक रुप से जिनका सदैव स्नेह प्रेम और आशीर्वाद पाता था वह सागर आज सूखकर सदैव के लिए वाष्प बन बैकुंठधाम चले गए श्री हरि से यही प्रार्थना है उनको अपने चरणों में स्थान दे और परिवार मित्र इष्ट जन को संबलता प्रदान करें। वही अनंत धीश अमन ने कहा कि आप रवि थे आप रवि है आप सदैव रवि रहेंगे आपके विचार सदैव प्रज्वलित थे,है और रहेंगे।
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