- रक्सौल प्रखंड के 13 पंचायतों में कुछ ही पंचायतों में है मिलता है नल का जल
नीतीश सरकार का महत्वाकांक्षी योजना नल का जल हो, या फिर शराबबंदी दोनों धरातल पर है दोनो फेलरक्सौल प्रखंड से कोई गांव दूर नहीं है लेकिन विकास से आज भी कोसों दूर है जबकि गांव से देश को जाना जाता है उसके बावजूद भी गांव के लोग अपना जरूरी काम को छोड़कर प्रखंड कार्यालय विभिन्न कार्यों के लिए चक्कर लगाते रहते हैं जबकि सरकार पंचायत भवन हर एक पंचायत में होना चाहिए शायद ऐसा नहीं है।अगर है भी तो अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।तभी तो अधिकतर लोग ऑनलाइन के माध्यम से राशन कार्ड,पिएम आवास, वृद्धा पेंशन, मु० पेंशन इत्यादि ऐसे बहुत सारे काम है जो लोग या तो प्रखंड कार्यालय में आकर आरटीपीएस काउंटर से करवाते हैं नहीं तो अधिकतर लोग साइबर कैफे में जाकर ऑनलाइन के माध्यम से अपना काम करवा लेते हैं।क्या है मुद्दे की बात
1 – क्या रक्सौल प्रखंड के 13 वों पंचायत में नहीं बना है सरकार पंचायत भवन ?
2 – आखिरकार किस कारणों से नहीं मिल रहा हैं अधिक्तर पंचायतों में नल से जल ?
3 – भारत/नेपाल अंतरराष्ट्रीय बोर्डर रक्सौल खुला बोर्डर हैं जिसके चलते भारत सरकार की सुरक्षा ऐजेंसियों के साथ साथ बिहार पुलिस उसके बाद उत्पाद विभाग जिसके जिम्मे शराब की जिम्मेवारी उसके बाद भी कोई बडी उपलब्धि हासिल नहीं ?
क्या कहते ग्रामीण सह सामाज सेवी रविकेश मिश्रा
सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि गांव से ही देश को जाना जाता हैं।रही बात शरब की तो बडे व्यपारी चंदी काट रहे हैं और ठेला वाला , रीक्शा वाला जेल रहा हैं गांव से लेकर शहर तक शहर के साथ साथ पूरे बिहार में कहीं शराबबंदी नहीं हैं अग हैं तो पूरे बिहार में शराब पिने के जुर्म मे हजारों हजारों के संख्या मे शराबी कहा से आ रहे हैं।
रक्सौल प्रखंड से तो दूर नहीं है गांव लेकिन विकास से कोसों दूर है।
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