अशोक वर्मा
मोतिहारी : नगर के गांधी संग्रहालय मे पीरामल संस्था के तत्वावधान मे जिले के एनजीओ की बैठक हुई। ज्ञात हो के पिरामल फाऊंडेशन बिहार के आकांक्षी जिला और प्रखंड में नीति आयोग के सहयोग से काम को आगे बढ़ना चाहती है । बैठक मे पधारे पीरामल संस्था के विहार प्रभारी अकरम भाई ने कहा कि स्थानीय एनजीओ को साथ लेकर संस्था बहुत कुछ सेवा कार्य करना चाहती है।संस्था स्वास्थ्य ,शिक्षा,बाल विवाह,सरकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने और मानव तस्करी पर काम करना चाहती है।साथ साथ सारे एनजीओ को मिलाकर एक कोआर्डिनेशन कमिटी भी बनाना चाहती हैं।
उन्होंने कहा कि संस्था 6 चैनल पर कार्य करना चाहती है। उन्होंने संस्था के इतिहास पर बताया कि 2006 में मात्र आठ लोगों को मिलाकर इस संस्था का कार्य आरंभ हुआ और आज यह संस्था देश के 112 जिलों में कार्यरत है तथा 25 जिलों में बहुत तेजी से कार्य हो रहा है। 2017 तक मात्र 8 जिलों में ही कार्य हुआ था 2018 से आकांक्षी जिला नीति आयोग का कार्यक्रम आया और तब से यह संस्था काफी सक्रिय हुई। बिहार के कई जिलों में संस्था कार्य कर रही है ।अभी संस्था के 7000 कर्मी कार्यरत है ।उन्होंने संस्था के उद्देश्य पर कहा कि भारत को संस्था पावर विकेंद्रीकरण का देश बनाना चाहती हैं जिसके लिए सभी के अंदर अपनी बातों को रखने की आजादी होनी चाहिए। उन्होंने निर्णय का तरीका कोलैबोरेशन और कंजर्वेशन आदि पर काम करने की बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को मिलाकर उसके नॉलेज में देकर संस्था सभी कार्य करेगी। सरकारी जितने भी कार्यक्रम है,सभी को जमीन पर उतारना है । रिसोर्स तकनीकी फॉर्म आदि पर फोकस करना है।उन्होंने कहा कि संस्था का उद्देश्य बहुत ऊंचा है तथा इस पूरे देश भर में लागू करना है। उन्होंने पांच सूत्री कार्यक्रम पर विस्तार से बताते हुए कहा कि सरकार से मिलकर नियमित बैठक करना , लोकल संस्थाओं को मिलाने का प्रयास करना, स्थानीय संस्थाओं के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कराना ,देश में विशेषज्ञ एवं प्रसिद्ध लोगों के साथ वेबीनार कराना और अंत में लोकल संस्थाओं के साथ पिरामल को खड़ा रहना है तथा उसे हर तरह का सहयोग देकर राष्ट्र के विकास में सभी की भागीदारी तय करनी है। प्रसिद्ध समाजसेवी अमर ने कहा कि सभी को मालूम हो कि बिहार सरकार के शिक्षा सचिव श्री के के पाठक जी के नेतृत्व में अच्छे काम हो रहे हैं लेकिन चिंता की बात है कि सितंबर महीने से लेकर 16 दिसंबर तक बिहार के लगभग 23 लाख 72 हजार से ऊपर बच्चों का नाम प्राथमिक मध्य और उच्च विद्यालयों से अब तक कट चुके हैं यह निहायत ही चिंता की बात है
बिहार जैसे राज्य में जहां शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अनवरत कई तरह के कार्यक्रम समानांतर तरीके से चल रहे हैं बावजूद इसके बच्चों का स्कूलों से नाम काटना बेहद गंभीर सवाल खड़ा करता है।
पोषण और स्वास्थ्य निश्चित रूप से एक चुनौती पूर्ण टास्क है हम सबों को प्रयास करना है कि पिरामल फाऊंडेशन इस जरूरी काम में सभी साथियों के सहयोग से सफल हो। ,हमें प्रयास करना है कि इन मुद्दों पर पिरामिड फाउंडेशन के लोगों से अत्यधिक जानकारी प्राप्त कर सभी स्टेकहोल्डर के साथ कोआर्डिनेशन बनाकर लक्ष को धरातल पर उतरने की दिशा में प्रयास किया जाय। आइडिया संस्था के दिग्विजय ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला और एनजीओ के कार्य में आने वाले बाधाओं से सभी को अवगत कराया।
बैठक में जिले के काफी एनजीओ के लोगों ने भाग लिया जिसमें हामीद, रागिनी, प्रयास के विजय शर्मा, सेवा संस्कृति मंच के अशोक वर्मा, इसके अलावा स्टीफन, रक्सौल डंकन के प्रतिनिधि, बेतियां एनजीओ के प्रतिनिधि, सामाजिक शोध विकास केंद्र मेहसी के कई प्रतिनिधि,विजय उपाध्याय,कार्ड संस्था के शशि शामिल थे ।
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