- क्या करें-क्या नहीं करें, से बच्चों और उनके अभिभावकों को कराएं अवगत
- मेडिकल कॉलेज सहित जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को अलर्ट रखने का निर्देश
- मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश
बेतिया। जिलाधिकारी, श्री दिनेश कुमार राय ने कहा कि जेई/एईएस (मस्तिष्क ज्वर-चमकी बुखार) एक गंभीर बीमारी है, जो अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलती है। मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करें। मेडिकल कॉलेज सहित जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को अलर्ट रखें। उन्होंने कहा कि प्रभावित बच्चा ससमय अस्पताल पहुंच जाय और उसे समुचित चिकित्सा उपलब्ध हो, इसे हर हाल में सुनिश्चित करें। इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही, कोताही एवं शिथिलता कतई बर्दाश्त नहीं की जायेगी। वे कार्यालय प्रकोष्ठ में स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को निर्देशित कर रहे थे।
जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी “चमकी को धमकी“ के तीन मुख्य बातें यथा-(1) खिलाओ- बच्चों को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलाएं (2) जगाओ-रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसे चमकी तो नहीं एवं (3) अस्पताल ले जाओ-बेहोशी या चमकी दिखते ही आशा को सूचित कर तुरंत 102 एम्बुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं का व्यापक प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित करें।
मस्तिष्क ज्वर के लक्षणः-
● सरदर्द, तेज बुखार आना जो 5-7 दिनों से ज्यादा का ना हो
● अर्द्ध चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना/भ्रम की स्थिति में होना/बच्चे का बेहोश हो जाना।
● शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
● पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मारना या हाथ पैर का अकड़ जाना।
● बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना।
● उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखने पर अविलंब अपने गांव की आशा/एएनएम दीदी से संपर्क कर अपने सबसे निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर चिकित्सीय परामर्श लें। इसके उपरांत ही सदर अस्पताल/मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों को ईलाज हेतु ले जायें।
सामान्य उपचार एवं सावधानियांः-
● अपने बच्चों को तेज धूप से बचाएं। घर से बाहर जाने पर सर पर टोपी या गीला गमछा रखें।
● अपने बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं।
रात में बच्चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएं।
● गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नमक-चीनी एवं नींबू पानी से शरबत बनाकर पिलायें।
● रात में सोते समय घर की खिड़कियां एवं रौशनदान को खोल दें, ताकि हवा का आवागमन होता रहे।
ध्यान देने वाली बातेंः-
क्या करेंः-
● तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके।
● पारासिटामोल की गोली/सीरप मरीज को चिकित्सीय सलाह पर दें।
● यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलायें।
बेहोशी/मिर्गी की अवस्था में बच्चे को छायादार एवं हवादार स्थान पर लिटाएं।
● चमकी आने पर, मरीज को बाएं या दाएं करवट में लिटाकर ले जाएं।
● बच्चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें।
अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछें, जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।
● तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की अंखों को पट्टी या कपड़े से ढंकें।
क्या ना करेंः-
● बच्चे को कम्बल या गर्म कपड़ों में न लपेंटे।
● बच्चे की नाक बंद नहीं करें।
● बेहोशी/मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी न दें।
● बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें।
● चूंकि यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है अतः बच्चे के ईलाज में ओझा गुणी में समय नष्ट न करें।
● मरीज के बिस्तर पर ना बैठें तथा मरीज को बिना वजह तंग न करें।
● ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर न हो और शांत वातावरण बनायें रखें।
इस गर्मी हम मिल के देंगे चमकी को धमकी :- ये 3 धमकियां याद रखें।
● खिलायें-बच्चे को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलाएं। यदि संभव हो तो कुछ मीठा भी खिलायें।
● जगायें-रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसे चमकी तो नहीं।
● अस्पताल ले जायें-बेहोशी या चमकी दिखते ही आशा को सूचित कर तुरंत निःशुल्क 102 एंबुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जायें।
