टीबी को समाज में कलंक समझना गलत- राजेश कुमार

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  •   रीच संस्था द्वारा डिसेमिनएशन कार्यशाला का हुआ आयोजन 
  • कुपोषित बच्चों को टीबी के संक्रमण का खतरा सर्वाधिक- डॉ. बी.के.मिश्र 
पटना- रीच संस्था द्वारा “यूनाइट टू एक्ट” प्रोजेक्ट के तहत राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार एवं रीच के तत्वावधान में आज शनिवार को पटना स्थित एक निजी होटल में डिसेमिनएशन कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन राजेश कुमार, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, बिहार प्रशासनिक सेवा, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार एवं डॉ. बी.के.मिश्र, अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, यक्ष्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यशाला में राजेश कुमार, प्रशासी पदाधिकारी, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार एवं डॉ. बी.के.मिश्र, अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, यक्ष्मा, अविनाश पांडेय, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, “यूनाइट टू एक्ट” प्रोजेक्ट की लीड, स्मृति कुमार, फाइंड के नेशनल ऑपरेशन मेनेजर, डॉ. सत्या, पटना, गया एवं मुजफ्फरपुर के संचारी रोग पदाधिकारी सहित विभिन्न जिलों से आये टीबी चैंपियंस, रीच की तरफ से मोहम्मद मुदस्सिर सहित रीच के अन्य कर्मचारी मौजूद रहे.
टीबी चैंपियंस ने टीबी मरीजों को दिलाई समाज में पहचान:
कार्यशाला को संबोधित करते हुए राजेश कुमार, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, बिहार प्रशासनिक सेवा, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार ने कहा कि टीबी को समाज में कलंक समझा जाता है जो कि गलत है. सही समय पर इलाज शुरू करने एवं दवा के पूरे कोर्स का सेवन कर कर कोई भी टीबी मरीज आसानी से स्वस्थ हो सकता है. उन्होंने कहा कि राज्य स्वास्थ्य समिति ने पिछले वर्ष टीबी चैंपियंस के साथ क्रिकेट मैच का आयोजन किया था जिसमे टीबी चैंपियंस ने शामिल होकर समाज में एक साकारात्मक संदेश दिया था. स्वास्थ्य विभाग टीबी चैंपियंस की हर संभव मदद करने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि टीबी चैंपियंस ने टीबी मरीजों को पहचान कर ससमय इलाज करवाने में मदद कर एवं उनके परिवार का उन्मुखीकरण कर टीबी मरीजों को अपने घर एवं समुदाय में पहचान दिलाने में मदद की.
कुपोषण है टीबी का सबसे बड़ा कारण:
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. बी.के.मिश्र, अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, यक्ष्मा ने कहा कि टीबी का सबसे बड़ा कारण कुपोषण है. कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति को टीबी आसानी से अपनी गिरफ्त में ले लेता है. उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चों में टीबी के संक्रमण का खतरा सर्वाधिक होता है. डॉ. मिश्र ने बताया कि राज्य यक्ष्मा कार्यालय टीबी चैंपियंस द्वारा किये जा रहे कार्यों को संज्ञान में लेते हुए उनकी सराहना करता है.
टीबी एक सामाजिक बीमारी:
वर्चुअल माध्यम से कार्यशाला से जुडी रीच की निदेशक, डॉ. राम्या अनंताकृष्णन ने कहा कि टीबी एक सामाजिक बीमारी है और इसके उन्मूलन के लिए सामुदायिक सहयोग एवं सहभागिता की जरुरत है. उन्होंने कहा कि देश के 11 राज्यों के 80 जिलों में 2000 से अधिक टीबी चैंपियंस को रीच द्वारा प्रशिक्षित किया जा चुका है.
टीबी चैंपियंस ने 212 व्यक्तियों को निक्षय मित्र बनने के लिए किया प्रेरित:
कार्यशाला को संबोधित करते हुए स्मृति कुमार, “यूनाइट टू एक्ट” प्रोजेक्ट की लीड ने कहा कि टीबी चैंपियंस ने राज्य में 212 व्यक्तियों को प्रेरित कर निक्षय मित्र बनने के लिए राजी किया. उन्होंने कहा कि रीच द्वारा राज्य के सभी 38 जिलों के 2-2 टीबी चैंपियंस को प्रशिक्षित किया है. उन्होंने सिफार को लगातार मीडिया सुपोर्ट के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया.
कार्यशाला में “यूनाइट टू एक्ट” प्रोजेक्ट का इम्पैक्ट रिपोर्ट रिलीज़ किया गया एवं टीबी चैंपियंस को प्रशस्ति पात्र देकर सम्मानित किया गया.
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