अमरनाथ यात्रा इस साल 29 जून से शुरू होगी. अमरनाथ यात्रा के लिए भक्त पूरे साल इंतजार करते हैं. बाबा अमरनाथ की यात्रा बहुत कठिन होती है. कभी ठंड तो कभी बारिश का मौसम हर कदम पर शिव भक्तों की परीक्षा लेता है, लेकिन इन सभी चुनौतियों के बाद भी भक्त पूरे जोश के साथ बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
सावन के महीने में अमरनाथ यात्रा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. ऐसे में शिव भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ यात्रा पर निकल जाते हैं. समुद्र तल से 3800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से शिवलिंग का निर्माण होता है. इसलिए ही इन्हें बाबा बर्फानी के नाम से जाना जाता है.
इस साल होने वाली अमरनाथ यात्रा के शेड्यूल का ऐलान हो गया है. इस साल अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होगी और इसका समापन 19 अगस्त को होगा. इस साल अमरनाथ यात्रा दो महीने की बजाय केवल 45 दिन की हो सकती है. देश में चुनाव के चलते इस यात्रा के समय को घटाकर डेढ़ महीने कर दिया गया है. अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 15 अप्रैल से शुरू होगा.
साल 2024 में अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 29 जून से होगा और यह यात्रा 19 अगस्त 2024 तक चलेगी. इस दिन बाबा बर्फानी की पूजा के बाद यात्रा का समापन हो जाएगा. इस यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय गुरु पूर्णिमा और श्रावण पूर्णिमा को माना जाता है.
धार्मिक मान्यता यह है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. कहा जाता है कि इस पवित्र धाम की यात्रा से 23 तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है. पुराणों के अनुसार, काशी में लिंग दर्शन और पूजा से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से हजार गुना अधिक पुण्य बाबा अमरनाथ के दर्शन करने से प्राप्त होता है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था, लेकिन पार्वती देवी बीच में ही सो गई थीं. इस पवित्र अमरनाथ गुफा में हर साल बर्फ का शिवलिंग बनता है जिसकी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि बाबा अमरनाथ की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि बाबा बर्फानी के आशीर्वाद से सभी प्रकार के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं.
बाबा अमरनाथ की गुफा समुद्र से करीब 3800 मीटर ऊंचाई पर है. गुफा में मौजूद शिवलिंग की खासियत है कि ये खुद आकार लेता है. ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा के घटने और बढ़ने के साथ-साथ इस शिवलिंग के आकार में बदलाव आता है. अमरनाथ का शिवलिंग ठोस बर्फ से बना होता है. जिस गुफा में यह शिवलिंग मौजूद है, वहां बर्फ हिमकण के रूप में है. हर साल सर्दी में यहां स्थित शिवलिंग आकार लेता है और देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्त इस शिवलिंग के दर्शन के लिए अमरनाथ यात्रा पर आते हैं. यात्रा से पहले यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं.
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