बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई)-3 में प्रश्न पत्र लीक मामले में झारखंड के हजारीबाग से 270 से अधिक अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया गया है। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने गुप्त सूचना के आधार पर यह कार्रवाई की है। अधिकारियों ने बताया कि 14 और 15 मार्च को हजारीबाग में कई स्थानों पर तलाशी ली गई। इस दौरान पता चला कि बिहार में कई स्थानों से लाए गए टीआरई-3 के अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए गए थे।
बयान के मुताबिक, 15 मार्च को परीक्षा के दिन अभ्यर्थियों को अपने-अपने परीक्षा केंद्र के लिए सुबह करीब तीन बजे निकलना था। उन सभी को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है। इसमें शामिल गिरोह के कुछ शातिरों को पकड़ा गया है। पुलिस ने कुछ दिन पहले पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ये टीआरई-3 के प्रश्नपत्र को लीक कराने के मास्टरमाइंड थे। पुलिस ने उनके पास से प्रश्नपत्र, कंप्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर व पेन ड्राइव बरामद किए थे। जांच में पता चला, आरोपियों ने प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार से अच्छी-खासी रकम ली थी।
अब इस मामले में राजनीति शुरू हो गई है। पक्ष-विपक्ष एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि पीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होना, इस बात का सबूत है कि एनडीए शासन के तहत राज्य में माफिया राज चल रहा है। हमने 70 दिनों में दो लाख उम्मीदवारों को शिक्षण नौकरियां प्रदान की थीं, लेकिन कोई पेपर लीक नहीं हुआ था। अब एनडीए शासनकाल में टीआरई-3 का प्रश्नपत्र लीक हो गया। यह माफिया राज के कारण हुआ है। यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से भी पेपर लीक का मामला सामने आया है।
उपमुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि जब राजद राज्य में शासन कर रहा था, तब राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) के एक अध्यक्ष को जेल जाना पड़ा था। हालांकि, उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष का नाम नहीं बताया। चौधरी ने कहा कि पेपर लीक में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो इस घटना में शामिल हैं, वे अपराधी हैं। जांच जारी है। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
