नीलगायों के कहर से किसान परेशान

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अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट।
उत्तर बिहार के सभी जिलों में इन दिनों नीलगाय किसानों के लिए कहर बन चुके उत्तर बिहार के लगभग सभी जिलों में इनकी आबादी तेजी से बढ़ी है जिस कारण से फसलों की बर्बादी हो रही है किसान चाह कर भी नील गायों के कहर को रोकने के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं शासन प्रशासन भी मूकदर्शक है। बिहार में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में अधिकांश मामलों में नीलगाय ही दोषी है।गंगा के मैदानी भागों से होते हुए नील गायों का झुंड व आबादी अब दक्षिण बिहार में भी पहुंच चुकी है उत्तर बिहार के छपरा सीवान गोपालगंज मोतिहारी बेतिया सीतामढ़ी मुजफ्फरपुर दरभंगा मधुबनी जिलों में नील गायों के कहर के कारण किसानों ने सब्जियों और मक्के की खेती बंद कर दी है इनकी प्रजनन क्षमता काफी तीव्र है जिस कारण से इनकी आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है पहले दियारा के इलाके में पाए जाने वाले नीलगाय अब मैदानी इलाकों में पूरी तरह से भर चुके हैं यह दल्हन व रबी फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं मक्का व सब्जियां इन बेहद पसंद है इस कारण से मक्के की फसल उत्तर बिहार की रिढ़ समझी जाती थी अब उसकी पैदावार धीरे-धीरे कम होने लगी है। 3 साल पहले बिहार में नील गायों को मारने की अनुमति राज्य सरकार ने दी थी बाहर से शूटर बुलाए गए थे कुछ जिलों में ऑपरेशन नीलगाय प्रारंभ हुआ पर बाद में पर्यावरणविदों ने इस मसले को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत नील गायों के मारने के आदेश पर रोक लग गया. नील गायों के साथ ही साथ जंगली सूअर और बंदरों ने भी उत्तर बिहार के कृषि कार्य को प्रभावित किया है 60 से 70 फ़ीसदी फसल बंदर नीलगाय व जंगली सूअर बर्बाद कर दे रहे हैं।पेड़ पौधों की घटती तादाद जंगलों के कम होते घनत्व के कारण नीलगाय जंगली सूअर और बंदरों का झुंड रिहायशी इलाकों तक पहुंच जाता है।
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