राष्ट्रीय बालिका दिवस पर समाज में व्याप्त असामानताओं को दूर करने पर दिया गया बल

5 Min Read
  •  मनेर प्रखंड में आयोजित किया गया कार्यक्रम 
पटना : बालिकाओं के प्रति समाज में व्याप्त असामनताओं को दूर कर उन्हें तरक्की व विकास के उचित अवसर व अधिकार उपलब्ध कराने के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर बुधवार को राज्य भर में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये. इसी क्रम में पटना जिले के मनेर प्रखंड अंतर्गत सराय पंचायत में सहयोगी संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बालिकाओं के प्रति समाज में व्याप्त असामनताओं को दूर कर उन्हें तरक्की व विकास के उचित अवसर व अधिकार उपलब्ध कराने के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर बुधवार को राज्य भर में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये. इसी क्रम में पटना जिले के मनेर प्रखंड अंतर्गत सराय पंचायत में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किशोरियों के बीच विभिन्न मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किये गये. वहीं विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्हें ये एहसास दिलाया गया कि ये दिन उनके लिये कितना खास है. कार्यक्रम में डेढ़ सौ से अधिक स्थानीय किशोरियों ने भाग लिया. इसमें सराय की वार्ड सदस्य नीलम गुप्ता, आनंदपुर की वार्ड सदस्य प्रिया, मुसेपुर की वार्ड सदस्य पार्वती सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई. वहीं कार्यक्रम की सफलता में सहयोगी संस्था की प्रियंका,  रूबी,  उषा, लाजवंती, निर्मला, बिंदु, सपना, रौनक, धर्मेंद्र, मनोज, शारदा, रीतू, जेबा, रजनी सहित अन्य ने सराहनीय भूमिका निभाया.
कार्यक्रम में शामिल सहयोगी संस्था की कार्यकारी निर्देशिका रजनी जी ने बताया कि इस दिवस का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें उचित अवसर उपलब्ध कराना है. ताकि वे अपने मन की बात रख सकें. किशोरियों के बीच आयोजित खेल प्रतियोगिता सहित अन्य आयोजनों के माध्यम से उनमें नेतृत्व क्षमता के विकास के साथ उन्हें सामाजिक भेदभाव से संबंधित मुद्दों पर अपनी समक्ष विकसित करने के लिये प्रेरित किया गया. ताकि वे अपने आसपास के लोगों का क्षमतावर्द्धन कर सकें. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर बालिकाओं के बीच कबड्डी, बोरा रेस, चम्मच गोली रेस, निशाना लगाना, दौड़, म्यूजिकल चेयर, खींचा तानी, विकेट, हूला हूप जैसे खेलों का आयोजन किया गया. जिसे लेकर समाज में पूर्व से ये धारणा व्याप्त है कि ये लड़कों का खेल है. वर्तमान में बच्चे ये खेल भूल भी चुके हैं।
रजनी जी ने कहा कि बचपन से ही बच्चों में खेलों को लेकर भी अलग सोच बना दी जाती है कि वे कौन सा खेल खेंले और कौन सा नहीं. लड़का हुआ तो बैट-बॉल, फुटबॉल, डॉक्टर सेट उन्हें खेलने के लिये दिया जाता है. वहीं लड़की होने पर उन्हें किचन सेट व गुड़िया खेलने के लिये दिया जाता है. जो ये दर्शाता है कि बचपन से ही बच्चों के मन में जेंडर की भूमिका को लेकर एक लकीर खींच दी जाती है. लड़कों को घर के बाहर खेलने जाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है कि और खिलौनों के माध्यम से ये उन्हें ये बताया जाता है कि उन्हें भविष्य में घर चलाने के लिये पैसे कमाने होंगे. वहीं किशोरियों को खेलने के लिये गुड़िया दिया जाता है ताकि उन्हें लगे कि उन्हें घर के अंदर ही खेलना है. उन्हें किचन सेट दिया जाता है कि ताकि उसे बचपन से ही ये ज्ञात हो सके कि लड़कियों को काम खाना बनाने व परिवार वालों को खाना खिलाने तक ही सीमित है.
किशोरियों के बीच विभिन्न मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किये गये. वहीं विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से उन्हें ये एहसास दिलाया गया कि बालिकाओं के लिए किसी एक सोच में बंधना नहीं है और अपनी मर्जी से जिंदगी में सभी चुनाव करना है।
48
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *