मुख्य वक्ता थे मोहम्मद जाकिर हुसैन महाविद्यालय दिल्ली अंग्रेजी के प्राध्यापक डॉक्टर किशोर कुमार दास मोतिहारी,12 सितंबर अशोक वर्मा।आज मुंशी सिंह महाविद्यालय के स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग में एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन संपन्न हुआ।इस एकल व्याख्यान के मुख्य अतिथि राजधानी दिल्ली के डॉ.जाकिर हुसैन कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर डॉ.किशोर कुमार दास थे।प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार ने पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्रम प्रदान कर उनका स्वागत किया।व्याख्यान का विषय था “साहित्य को कैसे समझा जाय?”इस संदर्भ में विद्वान वक्ता ने कहा कि साहित्य को समझने के लिए संवेदनशील मन की आवश्यकता है।इसी संवेदनशीलता से उसके विवेचन और विश्लेषण की राह खुलती है।उन्होंने कहा कि साहित्य ही एक ऐसा विषय है जिसमें सारे विषय समाहित हो जाते हैं। अर्थशास्त्र,राजनीति,प्रकृति,वि ज्ञान,इतिहास,पर्यावरण,मनोविज् ञान,धर्म,दर्शन और समाजशास्त्र सबों का समुच्चय होता है साहित्य।उन्होंने शेक्सपियर, यिट्स,जॉन किट्स और वर्ड्स वर्थ आदि कवियों,नाटककारों के साहित्य में वर्णित स्थलों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बड़े सुंदर लहजे अपने व्याख्यान को अंजाम तक पहुंचाया।बीच बीच में छात्र छात्राओं द्वारा करतल ध्वनि कर विद्वान वक्ता की प्रशंसा की गई।
इस अवसर पर अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो.(डॉ.)एकबाल हुसैन ने कहा कि जिस प्रकार न्यूटन,अलबर्ट आइंस्टीन,एडिशन एवं वेंकट रमण तथा जगदीशचंद्र बोस सरीखे वैज्ञानिकों के बिना दुनिया अंधकार में होती उसी प्रकार कालिदास,मिर्जा गालिब,शेक्सपियर एवं दिनकर के बिना दुनिया अधूरी होती।इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.अरुण कुमार ने कहा कि साहित्य वह होता है जिसमें सबों के हित की बात समाहित हो।उन्होंने संत शिरोमणि तुलसीदास,सूरदास,भारतेंदु और प्रेमचंद के साहित्य का उदाहरण देते हुए कहा कि इनका साहित्य समाज को आज भी राह दिखाने का कार्य कर रहा है,आलोक प्रदान कर रहा है। अंत में छात्र छात्राओं के प्रश्नों का भावन उपस्थित विद्वानों द्वारा किया गया।इस अवसर पर बॉटनी विभागाध्यक्ष डॉ.शफीकुर्रहमान,संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.मनीष कुमार झा,कॉमर्स विभागाध्यक्ष डॉ.सलाउद्दीन और हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.मृगेंद्र कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में छात्र छात्राओं की मौजूदगी ने कार्यक्रम को आकाशीय भव्यता प्रदान की।
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