मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना : जिले से 3 बच्चे शल्य चिकित्सा के लिए अहमदाबाद हुए रवाना

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  • अहमदाबाद के सत्य साई हॉस्पिटल में बच्चों के हृदय की होगी शल्य चिकित्सा
  • बगहा एवं नरकटियागंज के बच्चों को मिलेगा नया जीवन 
बेतिया। जिले में मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जिला स्वास्थ्य समिति से ह्रदय में छेद की गंभीर समस्या से पीड़ित बगहा-2 के जिकरा प्रवीण, उम्र साढ़े 8 साल, रंजीत कुमार 15 साल एवं नरकटियागंज के समर कुमार डेढ़ साल को उनके अभिभावक के साथ एम्बुलेंस से पटना रवाना किया गया है। इस संबंध में जिले के सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि आरबीएसके चिकित्सकों के द्वारा जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों, विद्यालयों व अन्य स्थानों पर कैम्प लगाकर समय समय पर बच्चों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है। जाँच के दौरान कुछ बच्चों में हृदय रोग से संबंधित लक्षण दिखाई देने पर उन्हें जिले के अस्पताल में स्क्रीनिंग की जाती है। उसके बाद ह्रदय रोग से पीड़ित बच्चों को उनके माता पिता के साथ जरूरी कागजातों के साथ निःशुल्क रूप से एम्बुलेंस से पटना आईजीआईसी भेजा जाता है। वहीं हृदय रोग के गम्भीर लक्षणों वाले बच्चों को शल्य चिकित्सा हेतु सत्य साईं हॉस्पिटल अहमदाबाद भेजा जाता है। जहाँ बच्चों एवं अभिभावक के रहने, भोजन, इलाज का सारा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
योजना के तहत 11 बच्चों का कराया गया है इलाज:
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक रंजन कुमार मिश्रा ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों में होने वाले कुल 43 रोगों के निःशुल्क इलाज का भी प्रावधान है। इनमें हृदय संबंधी रोग, श्वसन संबंधी रोग, जन्मजात विकलांगता, बच्चे के कटे होंठ व तालू संबंधी रोग प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि 1अप्रैल 2021 से 31 मई  2023 तक 41 बच्चों की पटना आईजीआईसी में जाँच की गईं, जहाँ 22 बच्चे जन्मजात ह्रदय रोग से गंभीर रूप से पीड़ित पाए गए हैं। जिनमें जिले के 11 बच्चों की शल्य चिकित्सा करायी गयी है। जिला समन्वयक रंजन कुमार मिश्रा ने बताया कि प्रत्येक माह लगभग 1600  से ज्यादा बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि यह योजना अप्रैल 2021 से चलायी जा रही है।
लगाया जाता है बीमार बच्चों का पता:
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अमित अचल ने बताया कि बीमार बच्चों को चिह्नित करने के लिए आरबीएसके टीम द्वारा जरूरी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। शून्य से छह साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिए आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य केंद्रों में छह से 18 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिए विद्यालय स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन नियमित अंतराल पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी तरह की गंभीर बीमारी के लक्षण हो तो आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता या स्वास्थ्य विभाग की टीम को जरूर बताएं ताकि चिह्नित कर बच्चों का इलाज कराकर उन्हें स्वस्थ किया जा सके।
मौके पर जिला समन्वयक रंजन कुमार मिश्रा, जिला सलाहकार गुणवत्ता यकीनन, फार्मासिस्ट सोनू कुमार वर्मा उपस्थित थे।
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