अशोक वर्मा
भारत नेपाल सीमा रक्सौल : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय स्थानीय सेवा केंद्र द्वारा सेवा केंद्र के सभागार में बड़े ही प्रेम, श्रद्धा एवं आत्मिक भाव से मातृ दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम का आयोजन सेवाकेंद्र प्रभारी बीके ज्ञानू दीदी के द्वारा किया गया ,जिसमें सभी को मातृ स्नेह और वात्सल्य की शक्ति का एहसास कराते हुए ज्ञानू बहन के साथ सभी ने मां के महत्व को जाना। ज्ञानू बहन ने कहा कि “मां सिर्फ ढाई अक्षर का एक शब्द नही, इसमें सागर जितनी गहराई ,आसमान जितनी ऊंचाई है। मां त्याग की प्रतिमूर्ति व स्नेह की ठंडी छाव है, तो पालना की उत्कृष्ट प्रतीक भी है तभी तो श्रीकृष्ण देवकी नंदन और हनुमान अंजनी पुत्र कहलाए ” फिर दीदी जी ने मां के विराट स्वरूप के दर्शन कराते हुए कहा कि “हमारी मां ही है जो निस्वार्थ प्रेम से हमारी रक्षा व पालना करती है और बदले में सिर्फ अपने संतान का मंगल और खुशी मांगती है। प्रकृति भी हमारी मां है जो अन्न, जल से हमे सींचती है, रहने को स्थान देती है, जीने को श्वास देती है। माताओं के बिना तो दुनिया की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।” फिर साइमन सर ने भावुक भरे शब्दों से मां कि एहमियत को समझाते हुए कहा कि “आज के जमाने में जिसकी मां है वो उनका ज्यादातर निरादर करते है और जिनकी मां नही है वो देखने को भी तरस जाते है,उनके आंसू भी निकल जाते है, इसीलिए समय रहते मां का हाथ साथ पकड़े रखे जिसने खुद कष्ट सह कर हमे जीवन दान दिया है उसका कभी निरादर न करे।” फिर डॉ प्रेमसागर जी ने सभी कहा की “सिर्फ एक दिन मातृ दिवस नही,बल्कि हर दिन होना चाहिए और सभी माताओं को हमसे हमेशा खुशी और स्नेह ही मिले। इसी के साथ सभी ने स्नेह के पुष्पों से कार्यक्रम मनाया और मां के गुणों को याद किया।
