अशोक वर्मा
मोतिहारी ; बिहार सरकार के सात निश्चय योजना अंतर्गत अरबो रुपया खर्च कर आरंभ किए गए नल जल योजना पूरी तरह फ्लॉप हो चुकी है। असफल होने का प्रमाण है कि एक तरफ जहां पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ सरकारी नल जल योजना का पानी पाइप लीकेज होने के कारण सड़क पर बह रही है। आज भी मध्यम वर्गीय एवं संपन्न परिवार के लोग अपने निजी बोरिंग पर ही निर्भर हैं। नल जल योजना का कनेक्शन सिर्फ शोभा के लिए उनके घरों में है,हां उनके बागवानी में पानी पटवन का काम कभी कभी उससे लिया जाता है। वैसे भी अब तक नगर में नल जल का पानी नियमित रूप से आम घरों में मुहैया नहीं हो पाया है। गांव में सब्जी की खेती में भले ही नल जल योजना का पानी मददगार है लेकिन पीने के लिए लोगों की निर्भरता अपने निजी चापाकल या बोरिंग पर ही हैं।
प्रचंड गर्मी मे ज्यादातर बोरिंग बैठ चुके हैं, मोटर काम नहीं कर रहे हैं।पहले मोटर से टंकी को भरने में 2 से 3 घंटे का समय लगता था आज 8 घंटे में भी टंकी नहीं भर पा रहा है। महंगी बिजली की खपत काफी हो रही है । पानी भी काफी पतली धार से निकल रही है। कई प्लंबर मिस्त्रियों ने बताया कि जितने भी पुराने मोटर या बोरिंग हैं उसमें करीब करीब सभी बंद हो चुके हैं ।इस मौसम में जो लोग भी नया बोरिंग करवा रहे हैं उन्हें समझाना हमारे लिए बड़ा मुश्किल हो रहा है क्योंकि अपेक्षाकृत पानी काफी कम निकल रहा है।नया बोरिंग कराने वाले लोग इसका सारा दोष बोरिंग मिस्री को हीं दे रहे हैं । मठिया जीरात का पलंबर रिंकू कुमार ने बताया 25 परसेंट पुराने बोरिंग बंद हो चुके हैं, काफी मेहनत से लोग चापाकल से पानी निकाल रहे है। बोरिंग गाड़ने वाला लंगटू महतो ने कहा कि इस मौसम में हम लोग अब मजबूर होकर काम बंद कर दिये हैं
पानी नहीं आने से सारा दोष हम लोगों पर ही लोग मढ रहे हैं, इसलिए हम लोग खुद नया बोरिंग करना नहीं चाह रहे हैं।
ज्ञान बाबू चौक का एक पलंबर मिस्त्री ने कहा कि 2 केवी से ऊपर की क्षमता वाले मोटर फिलहाल काम कर रहे हैं लेकिन पानी टंकी भरने में काफी समय लग रहा है। जब सावन मास आरंभ होगा और धरती पूरी तरह भींग जाएगी तब हीं पानी का लेवल ठीक होने की संभावना है।