- अब एक ही सुई एम्बीजोम से होता है इलाज
- जिले में कुल 8 कालाजार के मरीज
वैशाली। कालाजार पर प्रभावी नियंत्रण व कालाजार मुक्त जिले की यथास्थिति बनाए रखने के लिए सोमवार से जिले के प्रत्येक प्रखंड की आशा दीदी के एक दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत की गयी। प्रशिक्षक के तौर पर जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ गुड़िया कुमारी ने कालाजार के लक्षण, कारक और उपाय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कालाजार बालू मक्खी के काटने से होने वाला एक रोग है, जिसमें व्यक्ति बुखार या बार बार बुखार के साथ अन्य तकलीफों से भी पीड़ित हो जाता है। इसके परजीवी वैसी जगहों पर ज्यादा पनपते हैं जहां अंधेरा और नमी दोनों हो। गांव के गौशाला व चापाकल जैसी जगहों पर इसके परजीवी के पनपने की संभावना ज्यादा हो सकती है। कालाजार के सामाजिक निदान के लिए वर्ष में दो बार आइआरएस के चक्र भी चलाए जाते हैं। इसमें प्रत्येक राजस्व ग्रामों में एसपी पाउडर का छिड़काव किया जाता है। पिछले वर्ष जिले में कुल 5 कालाजार और 8 को इंफेक्शन के कालाजार मरीज थे।
आरके 39 किट से होती है जांच:
डॉ गुड़िया कुमारी ने आशा कार्यकर्ताओं को बताया कि कालाजार की जांच के लिए प्रत्येक प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आरके 39 किट के माध्यम से की जाती है। यह सभी केंद्रों पर है। वहीं इसके इलाज के लिए अब मात्र एक सूई एम्बीजोम दी जाती है, पर इसके लिए उस रोगी की विशेष शारीरिक जांच भी की जाती है। प्रशिक्षण के दौरान राघोपुर और बिदुपुर की करीब 60 आशा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। वहीं प्रशिक्षण के दौरान जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ गुड़िया कुमारी, हेल्थ एजुकेटर राकेश कुमार सिंह,भीडीसीओ राजीव कुमार,भीडीसीओ प्रीति आनंद सहित अन्य लोग मौजूद थे।
कालाजार के लक्षण :
-वजन घटना
-कमजोरी महसूस होना
-कई हफ्ते या महीने तक बुखार बना रहना
-लिवर में वृद्धि होना
-रक्तस्राव होना
-लसीका ग्रंथियों में सूजन आना।
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