मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना- जिले से 5 बच्चे शल्य चिकित्सा के लिए अहमदाबाद रवाना

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  •  अहमदाबाद के सत्य साई हॉस्पिटल में बच्चों के हृदय की होगी शल्य चिकित्सा
  • रक्सौल, सुगौली, केसरिया एवं मोतिहारी के बच्चों को मिलेगा नया जीवन 
मोतिहारी। जिले में मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जिला स्वास्थ्य समिति से ह्रदय में छेद की गंभीर समस्या से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए पटना भेजा गया है। वहां से इन बच्चों को अहमदाबाद इलाज के लिए भेजा जाएगा।  इसमें  रक्सौल के अर्जुन कुमार (उम्र 11 साल), सुगौली के उमंग कुमार, रमेश कुमार (13 वर्ष) केसरिया, दिव्यांश कुमार (4 वर्ष) बड़ा बरियारपुर व मेघा कुमारी (10 माह), जमला रोड मोतिहारी शामल हैं । इनको उनके अभिभावक के साथ एम्बुलेंस से पटना रवाना किया गया है। वहीं 1 अन्य बच्चा अशफाक आलम  रामगढ़वा (1 वर्ष )को डिवाइस क्लोजर हेतु पटना आईजीआईएमएस भेजा गया है। इस संबंध में जिले के आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ मनीष कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चिकित्सकों के द्वारा जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों, विद्यालयों व अन्य स्थानों पर कैम्प लगाकर समय समय पर बच्चों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है। जाँच के दौरान कुछ बच्चों में हृदय रोग से संबंधित लक्षण दिखाई देने पर जिले के अस्पताल में उनकी स्क्रीनिंग की जाती है। उसके बाद ह्रदय रोग से पीड़ित बच्चों को उनके माता- पिता के साथ जरूरी कागजातों के साथ निःशुल्क रूप से एम्बुलेंस से पटना आईजीआईसी भेजा जाता है। वहीं हृदय रोग के गम्भीर लक्षणों वाले बच्चों को शल्य चिकित्सा हेतु सत्य साईं हॉस्पिटल अहमदाबाद भेजा जाता है। जहाँ बच्चों एवं अभिभावक के रहने, भोजन, इलाज का सारा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
40 बच्चे शल्य चिकित्सा के लिए  किए गए हैं चिह्नित: 
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ मनीष कुमार ने बताया कि वर्ष 2023 में 45 बच्चे स्क्रीनिंग के दौरान ह्रदय रोग से पीड़ित पाए गए । जिनमें 40 बच्चे शल्य चिकित्सा हेतु चिह्नित किए गए हैं । उन्होंने बताया कि 16 बच्चों की ह्रदय रोग की सर्जरी कराई जा चुकी है। वहीं 24 बच्चे प्रतीक्षारत हैं। दूसरी ओर 5 बच्चे के दवाओं व इलाज से ठीक होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि
इस कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों में होने वाले कुल 43 रोगों के निःशुल्क इलाज का भी प्रावधान है। इनमें हृदय संबंधी रोग, श्वसन संबंधी रोग, जन्मजात विकलांगता, बच्चे के कटे होंठ व तालू संबंधी रोग प्रमुख हैं।
लगाया जाता है बीमार बच्चों का पता:
सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार व जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन ने बताया कि बीमार बच्चों को चिह्नित करने के लिए आरबीएसके टीम द्वारा जरूरी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। शून्य से छह साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिए आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य केंद्रों में छह से 18 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिए विद्यालय स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन नियमित अंतराल पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी तरह की गंभीर बीमारी के लक्षण हो तो आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता या स्वास्थ्य विभाग की टीम को जरूर बताएं ताकि चिह्नित कर बच्चों का इलाज कराकर उन्हें स्वस्थ किया जा सके।
मौके पर जिला समन्वयक डॉ मनीष कुमार, डॉ खालिद अनवर, व अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।
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