- इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल देश के लिए काला अध्याय था -राधा मोहन सिंह
अशोक वर्मा
मोतिहारी : केंद्र सरकार के 09 वर्ष सेवा, सुशासन एवं गरीब कल्याण पर देशव्यापी महा जनसंपर्क अभियान में आज नगर भवन में भाजपा द्वारा प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता भाजपा शिक्षा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक डॉ० अरुण कुमार एवं संचालन भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के जिला संयोजक अनिल वर्मा ने किया।
प्रबुद्ध सम्मेलन में आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला दिवस पर विशेष प्रकाश डाला गया। सर्वप्रथम आपातकाल पर एक वृतचित्र का प्रदर्शन हुआ।
सांसद पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्यान मंत्री राधा मोहन सिंह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के बाद पहली बार हिंदुस्तान तब हैरत में पड़ गया था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तानाशाही और राजनीतिक हठधर्मिता के कारण देश में आपातकाल अधिरोपित किया गया था। श्रीमती गांधी की इस कार्रवाई से पूरा देश स्तब्ध रह गया था।
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान लिए गए कई तरह के निरंकुशतापूर्ण निर्णय आज भी भारतीय लोकतंत्र के काले दौर का स्मरण कराते हैं। मीडिया, जिसे लोकतंत्रा का चौथा खंभा कहा जाता है, आपातकाल के दौरान प्रतिबंधित रहा। मीडिया के माध्यमों पर कई सेंसरशिप आरोपित किये गए। देश की जनता को वास्तविक समाचार के स्थान पर केवल सेंसर युक्त समाचार से अवगत कराया जाता था। सेंसर का उल्लंघन करने के आरोप में देश
के कई नामचीन पत्रकारों को भी जेल में बंद कर दिया गया।
21 महीनों में नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया लेकिन इन सब मुश्किलों के बाद भारत के लोगों ने लोकतांत्रिक तरीके से ही आपातकाल का मुकाबला किया और देश में पुनः वापस लोकतंत्र को स्थापित किया।
श्री सिंह ने आपातकाल के दौरान मोतिहारी के आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि मोतिहारी ने आपातकाल का भयावह दौर देखा और भोगा है। आज सत्ता के लाभ में आपातकाल के विरोधी भी कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गए हैं। आपातकाल के विरोध में बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव सहित कई नेता जेल की यातना सह चुके हैं। ये सभी जयप्रकाश नारायण को अपना आदर्श मान कर कभी लोकतंत्र की हत्यारी कांग्रेस पार्टी के विरोध में थे। मगर आज कुर्सी बचाने के लिए सभी कांग्रेस से गलबहियां किए हुए हैं। बिहार में आपातकाल की याद तब और ताजा हो उठती है, जब आज उसके विरोध में खड़े होने वाले और गैरकांग्रेसवाद का नारा बुलंद करने वाले लोग उसी कांग्रेस के सामने नतमस्तक हैं, जिसने पूरे बिहार को यातनागृह में तब्दील कर दिया गया था। कांग्रेस की मानसिकता आज भी वैसी ही है। वह दिन दूर नहीं जब यह लोग आपातकाल का जश्न तक मनाने लगेंगे । इन्होंने न केवल जेपी, लोहिया और कर्पूरी के गैर कांग्रेसवाद के सिद्धांत को तिलांजलि दे दिया है बल्कि पूरे बिहार और आपातकाल के विरोधियों को ठगने का काम भी किया है।
उक्त अवसर पर विधायक पूर्व मंत्री बिहार सरकार प्रमोद कुमार, जिलाध्यक्ष प्रकाश अस्थाना, पीपरा विधायक श्यामबाबू यादव, गोविंदगंज विधायक सुनील मणि तिवारी, पूर्व विधायक सचिन्द्र प्रसाद सिंह, चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक डॉ० अतुल कुमार, विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक राजीव शंकर वर्मा, उप महापौर डॉ० लालबाबू प्रसाद, महामंत्री त्रय मार्तण्ड विवेकानद पाण्डेय, नारायण सिंह एवं योगेंद्र प्रसाद, डॉ० आशुतोष शरण, मीडिया प्रभारी गुलरेज शहजाद एवं पंकज सिन्हा, बसंत मिश्रा, संजीव सिंह, मीना मिश्रा, डॉ० हेना चंद्रा, पुतुल पाठक,बबलू पासवान, उत्तरी मंडल अध्यक्ष राजेश कुमार, दक्षिणी मंडल अध्यक्ष राजू वर्मा, ओमप्रकाश सिंह, ऋषभ झा सहित बड़ी संख्या में जे०पी०सेनानी एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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