JANCUCTA की मांग पर कुलपति करें विचार, नहीं तो शिकायत कुलाधिपति तक जाएगी: महामंत्री अवनीश पांडे

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बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के कुलपति एवं रजिस्ट्रार द्वारा जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय का प्रशासन नियम विरुद्ध ढंग से चलाने पर आमादा हो चुके हैं । मैं बतौर जनकुआक्टा के महामंत्री कुलपति  एवं रजिस्ट्रार से महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी की परिनियमावली के अनुसार ,क्योंकि वह हमारी मातृ संस्था रही है ,से जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली को संचालित करने की मांग करता रहता हूंँ। किंतु वर्तमान कुलपति पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर की परनियमावली को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय पर थोपना चाहते हैं जो नियम विरुद्ध है यही नहीं कृषि विज्ञान संकाय में ,तो कुर्सी के इर्दगिर्द चक्कर काटने वाले लोगों को बोर्ड ऑफ स्टडीज की समितियां में प्रमुखता दी जा रही है और नियमों को ताक पर रखकर शिक्षकों के पद एवं प्रतिष्ठा अवहेलना, मानमर्दन व उनके अधिकारों से खिलवाड़ किया जा रहा है।
दूसरा मुद्दा रोवर्स रेंजर्स समागम से जुड़ा हुआ है। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में लगभग 80000 विद्यार्थी हैं और विश्वविद्यालय ₹10 प्रति विद्यार्थी रोवर्स रेंजर्स की फीस वसूलता है। किंतु यह पैसा जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में स्थापना के समय से ही समय-समय पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता रहा है । इसके संस्थापक कुलपति 3 वर्ष में एक बार समागम कराए, दूसरी कुलपति कोरोना का हवाला देते हुए 3 वर्ष में  दो बार समागम कराईं और वर्तमान कुलपति आते ही आते अपरिहार्य कारण बताते हुए पहले ही वर्ष समागम को स्थगित कर दिए। सरकार स्टैंड अप और स्टार्टअप योजना के तहत स्किल डेवलपमेंट की बात कर रही है । रोवर्स रेंजर्स स्किल डेवलपमेंट का विश्वविद्यालय महाविद्यालय में एक बहुत बड़ा साधन रहा है किंतु वर्तमान कुलपति सरकार की योजनाओं को धता बताते हुए रोवर्स रेंजर्स समागम स्थगित कर दिए । अब यह रोवर्स रेंजर्स का ₹800000 विद्यार्थियों का है वह किस भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ेगा ? अब यह कुलाधिपति महोदया तय करें कि विश्वविद्यालय में कुलपति लोग किन-किन भ्रष्टाचारों में लिप्त है ।
  तीसरा मुद्दा यह है कि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया में शोध निर्देशन हेतु अर्ह शिक्षकों को आवेदन करने एवं प्राचार्य से अर्ह शिक्षकों की लिस्ट मांगने का पत्र निर्गत किया गया । अधिकांश अर्ह शिक्षक जब फार्म लोड कर रहे थे तो तीन दिनों तक वेबसाइट नहीं चली। रजिस्ट्रार  से शिकायत करने पर उन्होंने कहा कि वेबसाइट खराब है। काम नहीं कर रही है। उनसे मैन्युअल फॉर्म जमा करा दीजिए ,उन्हें कंसीडर कर लिया जाएगा। किंतु रिजल्ट निकाल दिया गया और उन्हें शोध निर्देशक नहीं बनाया गया और नहीं उन्हें शोध छात्रों का अलॉटमेंट किया गया । विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी इस अकर्मण्यता को शिक्षकों के ऊपर थोपकर उनको उनके अधिकारों से वंचित करने का कुचक्र रच रहा है ,जो किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है ।
चौथा मुद्दा    NEP 2020 से जुड़ा है । NEP 2020 में प्रैक्टिकल प्रोग्राम सभी विषयों में था ,किंतु कुलपति  जी द्वारा NEP 2020 की गीत गाया जाता है और अधिकांश विषय में NEP 2020 को धता बताते हुए पुरानी शिक्षा नीति की प्रैक्टिकल व्यवस्था लागू कर दी गई।  अब छात्रों के सामने समस्या यह है कि भविष्य में यदि कोई समस्या उत्पन्न होती है कि उनकी डिग्री NEP2020 के अनुसार है कि नहीं है, तो जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पास कोई जवाब नहीं है क्योंकि NEP2020 में हर विषय में प्रैक्टिकल का प्रावधान है और वर्तमान कुलपति जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया ने अधिकांश विषयों से नयी शिक्षा नीति के प्रैक्टिकल प्रावधान को हटा दिया है । सरकार  NEP2020 लागू करना चाहती है और जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय का प्रशासन NEP2020 और पुरानी शिक्षा व्यवस्था का घालमेल कर  मिश्रित  शिक्षा नीति को लागू कर रहे हैं और सरकार की मंशा  ध्वस्त कर रहे हैं । NEP-2020 इस विश्वविद्यालय में एक मजाक बन चुकी है।
 अगला मुद्दा यह है किB. Ed में प्रैक्टिकल आवंटन में प्रोफेसर ,एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर की संख्या मनमाने ढंग से निर्धारित कर दिया गया है। अधिकांश कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं ,कुलपति के यहां कुछ त्रिरत्न है ,उन्हें ही अधिकांश प्रैक्टिकल आवंटित हो रहा है जो असिस्टेंट प्रोफेसर के अधिकार का हनन है ।
अगला मुद्दा यह है कि B. Ed अलग संकाय है , शिक्षाशास्त्र ,कला , समाज विज्ञान तथा मानविकी संकाय  का विषय है। B.Ed के लोग शिक्षा शास्त्र में प्रैक्टिकल हेतु आ रहे  हैं किंतु शिक्षाशास्त्र के लोग B.Ed में प्रैक्टिकल हेतु  नहीं जा रहे हैं । या तो यह रोका जाए , या जो जिस संकाय का है उस संकाय में उसे प्रैक्टिकल आवंटित किया जाए ।  इसका निर्धारण कुलपति और रजिस्टर के दरबार में बैठने वाले त्रिरत्न के अनुसार  नहीं होना चाहिए । बल्कि जो नियम संगत है उसका अनुपालन होना चाहिए। रिसर्च स्कॉलर के आवंटन में भी ‌B.Ed एवं एजुकेशन डिपार्टमेंट का घालमेल किया जा रहा है जबकि कोर्ट का भी स्पष्ट आदेश है की ऐसा करना न्याय संगत नहीं है । किंतु जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय का प्रशासन इन वैधानिक मांगों पर विचार न कर त्रिरत्नों के अनुसार और बहुरत्नों के अनुसार नियम को ताकपर रखकर कोई भी निर्धारण न किया जाए। आप सम्मानित पत्रकार बंधुओं के माध्यम से  हम कुलपति जी से मांग करते हैं कि अपने मनमाने निर्णय पर पुनर्विचार करें ताकि संगठन को बाध्य होकर ऐसा कोई धरना प्रदर्शन या आंदोलन न करना पड़े जिससे संगठन और विश्वविद्यालय प्रशासन में टकराव की स्थिति पैदा हो और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की परिनियमावली के अनुसार ही जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के प्रशासन के संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए जब तक अपने विश्वविद्यालय की परिनियमावली बनकर तैयार नहीं हो जाती है।
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