उपमुख्यमंत्री के रूप में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव द्वारा लिए गए फैसलों पर रोक लगा दी गई है. तेजस्वी यादव के साथ-साथ राजद के दो अन्य तत्कालीन मंत्रियों द्वारा लिये गये फैसले पर भी रोक लगायी गई है. उन सारे फैसलों की जांच होगी और फिर आगे की कार्रवाई की जायेगी. बिहार सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने आज यह आदेश जारी कर दिया है. इसमें चार विभाग ऐसे हैं, जो तेजस्वी यादव के पास थे. उन विभागों में भी तेजस्वी यादव द्वारा इस वित्तीय वर्ष लिए गए तमाम फैसलों पर रोक लगा दी गई है.
मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सरकार के स्वास्थ्य विभाग, पथ निर्माण विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग औऱ लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में 1 अप्रैल 2023 से मंत्री के स्तर पर जो काम किये गये थे या फैसले लिये गये थे, उन्हें तत्काल रोक दिया जाये.
उन तमाम फैसलों की समीक्षा की जाये और जरूरी हो तो उसमें संशोधन किया जाये. पुराने मंत्री द्वारा लिये गये फैसलों की जानकारी मौजूदा मंत्री को दिया जाये और उनसे जरूरी दिशा निर्देश लिया जाये.
बिहार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका संकेत दे दिया था. सदन में ही मुख्यमंत्री ने कहा क्यों नहीं यह जानकारी है कि हमने जिन्हें मौका दिया, वह कमाने में लग गए थे. नीतीश कुमार ने आगे कहा था कि सारे विभागों की फाइल खोली जाएगी.
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी कहा था कि बड़े पैमाओं पर राजद कोट के मंत्रियों के विभाग में भ्रष्टाचार की जानकारी सामने आई है और एक-एक कर सब की फाइल खोली जाएगी.
राजद कोटे के श्रम संसाधन विभाग की पहली फाइल खुल गई है. इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है. डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने आज श्रम संसाधन विभाग की फाइलें खंगाली.
श्रम संसाधन विभाग के तहत ही बिहार के सारेआईटीआई कॉलेज आते हैं. विजय कुमार सिन्हा ने सारे फाइलों के निरीक्षण के बाद पाया है कि आईटीआई कॉलेजों के लिए मशीनरी औऱ दूसरे सामानों की खरीददारी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पकड़ी गयी है.
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