औराई। गायघाट नाव हादसे के बाद औराई के बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों में भय व्याप्त है। आपको बता दें की नदी में बंधी तार का सहारा लेकर चालक नाव को चलाते हैं। और उस पर सवार स्कूली बच्चे की तस्वीर देख शरीर दहल जाता है। सुबह स्कूल जाने से लेकर शाम तक घर लौटने का नाव ही एकमात्र सहारा है। नतीजतन दिनभर माता-पिता की सांशे अटकी रहती है। मन में एक ही सवाल पैदा होते रहता है कि उनके बच्चे सुरक्षित एवं सकुशल लौट तो आएंगे ना। प्रतिदिन इसी प्रकार जान को जोखिम में डाल मधुबन प्रताप गांव के बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं। वही, आपको बताते चले कि गायघाट नाव हादसे के बाद औराई के इस गांव के बच्चे डर गए हैं तथा बच्चों में भय व्याप्त है। लेकिन स्कूल जाने की मजबूरी इन बच्चों को प्रतिदिन नाव पर ले आती है। लोहे के तार के सहारे चलने वाली नाव से स्कूली बच्चे प्रतिदिन बागमती नदी को आर पार करते हैं। वही, गांव में मिडिल स्कूल है लेकिन, हाई स्कूल के लिए नाव ही सहारा है, प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव के मिडिल स्कूल के शिक्षकों को भी नाव का ही सहारा लेना पड़ता है। छात्र-छात्राओं ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि 75 फीसदी उपस्थिति और छात्रवृत्ति नहीं कट जाए, यह उनकी मजबूरी है।
औराई या फिर सरहचिया हाई स्कूल जाते हैं बच्चे
गायघाट नाव हादसे में कई माताओं ने अपने लाल को खो दिया तो कई परिवार के चिराग बुझ गए। लेकिन इसके बावजूद भी उसी तरह नाव के सहारे लोग आ जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा पुल निर्माण का आश्वासन तो दिया जाता है। लेकिन जीत के जश्न के बाद यहां के लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।
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