अशोक वर्मा
मोतिहारी : समाजसेवी स्मृति पासवान भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। जमुई में स्मृति पासवान काफी लोकप्रिय हैं।समाज सेवा से जुडी स्मृति पासवान की पैठ हर जाति,धर्म और वर्ग मे है। जमुई में स्मृति की जमीन तैयार है और वे वहां जन-स्वीकार्यता के साथ लोगों से कनेक्ट हैं। जमुई में मुश्किल समय में स्मृति पासवान लोगों के जुड़ी रहीं हैं उसका भी पुराना इतिहास है। स्मृति उच्च स्तरीय शिक्षा भी प्राप्त की हैं बावजूद इसके वे बिना किसी इगो के लोगों के साथ सामान्य रूप से उनके सुख-दुख में शामिल रहीं हैं। सबसे बड़ी बात यह भी है कि उनके पति एक आइपीएस अधिकारी हैं और जमुई में एसपी के रूप में लोगों ने उनके कार्यकाल को भी देखा है। फिलहाल वे चंपारण रेंज में डीआईजी के पद पर कार्यरत हैं। स्मृति पासवान के पति डीआईजी जयंत कांत लोकप्रिय अधिकारी हैं। चंपारण में भी उनकी इमानदारी की चर्चा है। दोनों की जन-स्वीकार्यता है,इसका लाभ भी होगा इसमें संदेह नहीं। बड़ी बात यह है कि स्मृति पासवान के भाजपा में शामिल होने से केवल जमुई की राजनीति प्रभावित नहीं होगी बल्कि इनसे पूरे बिहार का राजनीतिक समीकरण प्रभावित होगा। भाजपा को मजबूती मिलेगी इसमें कोई संदेह नहीं। बड़ी बात यह है कि इनसे विपक्ष को कितना नुक़सान होगा। वैसे तो पासवान लोगों का समर्थन भाजपा को मिलता रहा है, कारण रामविलास पासवान रहें हों या अब चिराग पासवान। लेकिन स्मृति पासवान न केवल पासवान जाति को बल्कि दलित,महा दलित सहित अन्य दूसरे समुदाय के लोगों को भी भाजपा के पक्ष में गोलबंद करने में कारगर हो सकती हैं। भाजपा ने शायद दुरगामी लाभ को देखकर ही उन्हें पार्टी में शामिल किया है। वैसे जमुई हो या और कहीं, स्मृति पासवान भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी ऐसी पूरी संभावना है , आसपास के लोकसभा क्षेत्र में भी मतदाताओं पर प्रभाव पड़ेगा इसमें संदेह नहीं है। पटना के राजनीतिक गलियारों में होती हलचलों पर पैनी नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि स्मृति पासवान के भाजपा में आने से बिहार की राजनीति गरमाई हुई है और भविष्य में और भी व्यापक चर्चाएं होंगी इसमें संदेह नहीं।
